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दिल करता है, लौट जाऊं वापस उसही जमाने में। जहाँ तू

दिल करता है, लौट जाऊं वापस उसही जमाने में।
जहाँ तू ठीक मेरे पास,मेरे सामने वाली table पर बैठा करती थी।।
जहाँ तेरी एक छोटी सी मुस्कान, मेरी पूरी दुनिया समेठा करती थी।।
जहाँ मैं रोज़ छुप छुप के, तुझे जी भर कर देखा करता था।
मैं तुझसे हर रोज़ बात करने के नये नये बहाने ढूंढा करता था।
वेबजह वेमतलब तुझसे लाखो सवाल पूछा करता था।।
वो एक अलग ही बात थी उन दिनों में।
और हो भी क्यों न, मेरी ज़िंदगी मेरी मोहब्बत जो मेरे साथ थी उन दिनों में।।
हाय क़यामत तो जब हुआ करती थी, जब तू बालो को झटकती थी।
कमबख्त तुझे खबर भी नहीं, तेरी हर अदा पर मेरी साँसें अटकती थी।।
दिल करता है, लौट जाऊं वापस उसही जमाने में।
जहाँ तू ठीक मेरे पास,मेरे सामने वाली table पर बैठा करती थी।।
जहाँ मैं जानबूझकर तुझे चिढ़ाया करता था।
न जाने कहाँ कहाँ से बहाने ढूंढकर तुझे हसाया करता था।।
जहाँ मैं तेरे लिए महज एक दोस्त था।
और जहाँ तू मेरे लिए मेरी ज़िंदगी से बढ़कर थी।।
महसूस कर कैसे जीता होंगा अब तेरे बिन, तुझे देखे बिना, तुझसे बात किये बिना।
जहाँ तेरे एक दिन collage न आने पर सब कुछ बीरान स लगता था।
वो class, वो मंत्री की canteen सब कुछ समसान लगता था।।
दिल करता है, लौट जाऊं वापस उसही जमाने में।
जहाँ तू ठीक मेरे पास,मेरे सामने वाली table पर बैठा करती थी।।
 दिल करता है, लौट जाऊं वापस उसही जमाने में।
जहाँ तू ठीक मेरे पास,मेरे सामने वाली table पर बैठा करती थी।।
जहाँ तेरी एक छोटी सी मुस्कान, मेरी पूरी दुनिया समेठा करती थी।।
जहाँ मैं रोज़ छुप छुप के, तुझे जी भर कर देखा करता था।
मैं तुझसे हर रोज़ बात करने के नये नये बहाने ढूंढा करता था।
वेबजह वेमतलब तुझसे लाखो सवाल पूछा करता था।।
वो एक अलग ही बात थी उन दिनों में।
और हो भी क्यों न, मेरी ज़िंदगी मेरी मोहब्बत जो मेरे साथ थी उन दिनों में।।
दिल करता है, लौट जाऊं वापस उसही जमाने में।
जहाँ तू ठीक मेरे पास,मेरे सामने वाली table पर बैठा करती थी।।
जहाँ तेरी एक छोटी सी मुस्कान, मेरी पूरी दुनिया समेठा करती थी।।
जहाँ मैं रोज़ छुप छुप के, तुझे जी भर कर देखा करता था।
मैं तुझसे हर रोज़ बात करने के नये नये बहाने ढूंढा करता था।
वेबजह वेमतलब तुझसे लाखो सवाल पूछा करता था।।
वो एक अलग ही बात थी उन दिनों में।
और हो भी क्यों न, मेरी ज़िंदगी मेरी मोहब्बत जो मेरे साथ थी उन दिनों में।।
हाय क़यामत तो जब हुआ करती थी, जब तू बालो को झटकती थी।
कमबख्त तुझे खबर भी नहीं, तेरी हर अदा पर मेरी साँसें अटकती थी।।
दिल करता है, लौट जाऊं वापस उसही जमाने में।
जहाँ तू ठीक मेरे पास,मेरे सामने वाली table पर बैठा करती थी।।
जहाँ मैं जानबूझकर तुझे चिढ़ाया करता था।
न जाने कहाँ कहाँ से बहाने ढूंढकर तुझे हसाया करता था।।
जहाँ मैं तेरे लिए महज एक दोस्त था।
और जहाँ तू मेरे लिए मेरी ज़िंदगी से बढ़कर थी।।
महसूस कर कैसे जीता होंगा अब तेरे बिन, तुझे देखे बिना, तुझसे बात किये बिना।
जहाँ तेरे एक दिन collage न आने पर सब कुछ बीरान स लगता था।
वो class, वो मंत्री की canteen सब कुछ समसान लगता था।।
दिल करता है, लौट जाऊं वापस उसही जमाने में।
जहाँ तू ठीक मेरे पास,मेरे सामने वाली table पर बैठा करती थी।।
 दिल करता है, लौट जाऊं वापस उसही जमाने में।
जहाँ तू ठीक मेरे पास,मेरे सामने वाली table पर बैठा करती थी।।
जहाँ तेरी एक छोटी सी मुस्कान, मेरी पूरी दुनिया समेठा करती थी।।
जहाँ मैं रोज़ छुप छुप के, तुझे जी भर कर देखा करता था।
मैं तुझसे हर रोज़ बात करने के नये नये बहाने ढूंढा करता था।
वेबजह वेमतलब तुझसे लाखो सवाल पूछा करता था।।
वो एक अलग ही बात थी उन दिनों में।
और हो भी क्यों न, मेरी ज़िंदगी मेरी मोहब्बत जो मेरे साथ थी उन दिनों में।।
mohdzeeshan5238

Mohd zeeshan

New Creator

दिल करता है, लौट जाऊं वापस उसही जमाने में। जहाँ तू ठीक मेरे पास,मेरे सामने वाली table पर बैठा करती थी।। जहाँ तेरी एक छोटी सी मुस्कान, मेरी पूरी दुनिया समेठा करती थी।। जहाँ मैं रोज़ छुप छुप के, तुझे जी भर कर देखा करता था। मैं तुझसे हर रोज़ बात करने के नये नये बहाने ढूंढा करता था। वेबजह वेमतलब तुझसे लाखो सवाल पूछा करता था।। वो एक अलग ही बात थी उन दिनों में। और हो भी क्यों न, मेरी ज़िंदगी मेरी मोहब्बत जो मेरे साथ थी उन दिनों में।। #Poetry