दिल करता है, लौट जाऊं वापस उसही जमाने में।
जहाँ तू ठीक मेरे पास,मेरे सामने वाली table पर बैठा करती थी।।
जहाँ तेरी एक छोटी सी मुस्कान, मेरी पूरी दुनिया समेठा करती थी।।
जहाँ मैं रोज़ छुप छुप के, तुझे जी भर कर देखा करता था।
मैं तुझसे हर रोज़ बात करने के नये नये बहाने ढूंढा करता था।
वेबजह वेमतलब तुझसे लाखो सवाल पूछा करता था।।
वो एक अलग ही बात थी उन दिनों में।
और हो भी क्यों न, मेरी ज़िंदगी मेरी मोहब्बत जो मेरे साथ थी उन दिनों में।। #Poetry