थक गए हो तो थकन छोड़कर जा सकते हो। तुम मुझे वाकियातन छोड़कर जा सकते हो । हम दरखतों को कहां आता है हिजरत करना। तुम परिंदे हो वतन छोड़कर जा सकते हो । ammar ikbal # ammar ikbal poetry #