कुछ रंग पुराने ख़ोज के, होली दोबारा मना लेते हैं, कुछ मीठा बना के जिंदगी, रोज़ दीवाली मना लेते हैं, समय की गुल्लक में, हंसी कहकहे बचा लेते हैं, कुछ खुश हो जाये मुश्किलें भी, उन्हें भी बुला लेतें हैं, किस्मत नचवाये तो क्या? #ज़िद्दी हूँ कुछ, इसे भी अपनी ताल पे नचवा लेते हैं, डोर है रब के हाथ में, बेफ़िक्री की पतंग उड़ा लेते हैं, लफ़्ज़ों के गुलदस्ते में, कई बदरंग पत्ते छुपा लेते हैं ------ #jd कुछ रंग पुराने ख़ोज के, होली दोबारा मना लेते हैं, कुछ मीठा बना के जिंदगी, रोज़ दीवाली मना लेते हैं, समय की गुल्लक में, हंसी कहकहे बचा लेते हैं, कुछ खुश हो जाये मुश्किलें भी, उन्हें भी बुला लेतें हैं,