आखिर कब तक वो जख्मो में हिसाब मांगेंगी, ये जिंदगी कब तक मेरा हिसाब मांगेगी, मेरी शिकायते कोई सुनता कहाँ है, इससे अच्छा तो मर जाना ठीक था, ये जिंदगी कब तक उन जख्मो का हिसाब मांगेगी #Kuch_galtiyan