मुझे मेरे लफ़्ज़ों का हक चाहिए मुझे उस शाम का नहीं उस रात का हिसाब चाहिए तेरे मेरे दरमियां जितने भी लम्हे थे मुझे हर लम्हे का अक्स चाहिए यह कैसा धंधा है आबशर मुखौटहो का लोगों को मुनाफे के साथ-साथ हिस्सेदारी भी चाहिए आबशार_की_सरगम शशांक ©Abshar #abshar_ki_sargam #mask