याद बहुत आता है दादा का गांव घूमते थे लहराते खेतों में हम नंगे पाव और जब थक जाते थे घूम कर बहुत फिर बैठ जाते फिर नीम की छांव। याद बहुत आता है दादा का गांव।। पर अब हम शहर में हैं गर्मी और धुएं के कहर में हैं हर रोज नए पहर में हैं । और अब हम शहर में है।। सुना है दादा का गांव भीअब एक शहर हो गया है। लहराता सा जो खेत था वह बंजर हो गया है। नंगे पाव अब कोई दौड़ता नहीं उसमें क्योंकि दादा का गांव भी शहर हो गया।। Bhavna pindari #village