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रिश्ते की शुरुआत कुछ चाहे कुछ अनचाहे रिश्ते,रिश

रिश्ते की शुरुआत 


कुछ चाहे कुछ अनचाहे रिश्ते,रिश्तों पर किसका ज़ोर है
टूट रहे हैं रिश्ते अब ,बस इसी बात का शोर है
टूटते नहीं रिश्ते रूप बदलते, मेरा मत कुछ और है
भावनाओं के कसौटी से देखो कोई अपना कोई ग़ैर है

जन्म से कुछ बन्ध जाती तो कुछ की होती बाद में शुरुआत
कभी मित्रता तो कभी सहकर्मी सभी में होती कुछ विशेष बात
एक रिश्ता कुछ ख़ास है होता जब होती मेहबूब से मुलाकात
इसी से होती है ये बातें, कभी न छोड़ेंगे तेरा साथ

एकतरफ़ा हो या दोतरफ़ा बस प्रेम हीं इसका सिंचन है
एकदूजे का साथ निभाएँ तो सुखमय पूरा जीवन है
                             खून के रिश्ते भी धोखा दे देते,                     इतिहास में ऐसा वर्णन है
                     जिसका नीव विश्वास पर टिका,                         वो रिश्ता हीं कंचन है कुछ चाहे कुछ अनचाहे रिश्ते,रिश्तों पर किसका ज़ोर है
टूट रहे हैं रिश्ते अब ,बस इसी बात का शोर है
टूटते नहीं रिश्ते रूप बदलते, मेरा मत कुछ और है
भावनाओं के कसौटी से देखो कोई अपना कोई ग़ैर है

जन्म से कुछ बन्ध जाती तो कुछ की होती बाद में शुरुआत
कभी मित्रता तो कभी सहकर्मी सभी में होती कुछ विशेष बात
एक रिश्ता कुछ ख़ास है होता जब होती मेहबूब से मुलाकात
रिश्ते की शुरुआत 


कुछ चाहे कुछ अनचाहे रिश्ते,रिश्तों पर किसका ज़ोर है
टूट रहे हैं रिश्ते अब ,बस इसी बात का शोर है
टूटते नहीं रिश्ते रूप बदलते, मेरा मत कुछ और है
भावनाओं के कसौटी से देखो कोई अपना कोई ग़ैर है

जन्म से कुछ बन्ध जाती तो कुछ की होती बाद में शुरुआत
कभी मित्रता तो कभी सहकर्मी सभी में होती कुछ विशेष बात
एक रिश्ता कुछ ख़ास है होता जब होती मेहबूब से मुलाकात
इसी से होती है ये बातें, कभी न छोड़ेंगे तेरा साथ

एकतरफ़ा हो या दोतरफ़ा बस प्रेम हीं इसका सिंचन है
एकदूजे का साथ निभाएँ तो सुखमय पूरा जीवन है
                             खून के रिश्ते भी धोखा दे देते,                     इतिहास में ऐसा वर्णन है
                     जिसका नीव विश्वास पर टिका,                         वो रिश्ता हीं कंचन है कुछ चाहे कुछ अनचाहे रिश्ते,रिश्तों पर किसका ज़ोर है
टूट रहे हैं रिश्ते अब ,बस इसी बात का शोर है
टूटते नहीं रिश्ते रूप बदलते, मेरा मत कुछ और है
भावनाओं के कसौटी से देखो कोई अपना कोई ग़ैर है

जन्म से कुछ बन्ध जाती तो कुछ की होती बाद में शुरुआत
कभी मित्रता तो कभी सहकर्मी सभी में होती कुछ विशेष बात
एक रिश्ता कुछ ख़ास है होता जब होती मेहबूब से मुलाकात

कुछ चाहे कुछ अनचाहे रिश्ते,रिश्तों पर किसका ज़ोर है टूट रहे हैं रिश्ते अब ,बस इसी बात का शोर है टूटते नहीं रिश्ते रूप बदलते, मेरा मत कुछ और है भावनाओं के कसौटी से देखो कोई अपना कोई ग़ैर है जन्म से कुछ बन्ध जाती तो कुछ की होती बाद में शुरुआत कभी मित्रता तो कभी सहकर्मी सभी में होती कुछ विशेष बात एक रिश्ता कुछ ख़ास है होता जब होती मेहबूब से मुलाकात #Relationship #कविता