कुछ चाहे कुछ अनचाहे रिश्ते,रिश्तों पर किसका ज़ोर है
टूट रहे हैं रिश्ते अब ,बस इसी बात का शोर है
टूटते नहीं रिश्ते रूप बदलते, मेरा मत कुछ और है
भावनाओं के कसौटी से देखो कोई अपना कोई ग़ैर है
जन्म से कुछ बन्ध जाती तो कुछ की होती बाद में शुरुआत
कभी मित्रता तो कभी सहकर्मी सभी में होती कुछ विशेष बात
एक रिश्ता कुछ ख़ास है होता जब होती मेहबूब से मुलाकात #Relationship#कविता