कागज की कश्ती जो थी पुरानी लौटा दो हमको वो बारिश का पानी... बैलों की जोड़ी बंधे घुंघरू संग महकाते खेतों के मन लौटा दो फिर वो कहानी... कागज की कश्ती जो थी पुरानी...|| झूलों की वो रस्सी गुम है खेलों की मंडली गुम है आम की टहनियाँ गुमसुम हैं लौटा दो कब्बड्डी की वो खींचातानी... कागज की कश्ती जो थी पुरानी...|| ताल तलइया चुप हैं मकई के रखाइया गुम हैं बैंस पर बैठकर पार कराइया गुम है लौटा दो वो तलाव की छ्पछ्पानी, कागज की कश्ती जो थी पुरानी...|| बनाते मिट्टी के बर्तन बिगाड़ते रेत के समतल सुखाते कभी भिगोते लोटा दो वो बचपन की कहानी, कागज की कश्ती जो थी पुरानी...|| टायर जो कभी दौड़ाया करते गुल्ली डंडा से करते देख पीठ खींच देते गेंद देख किसी को शोर मचाते मनमानी, कागज की कश्ती जो थी पुरानी...|| बैठते थे जो कभी अपने चवपार खर में लगाते चिनगी संग आग परेला का बिछावना वो जो उछल कूद कर बिगाड़ते विस्तरे का हाल लौटा दो #अनिल को वो नींद पुरानी...|| कागज की कश्ती जो थी पुरानी...|| कागज की कश्ती जो थी पुरानी लौटा दो हमको वो बारिश का पानी... ©Avadh Views Watch Us On YouTube #यादें #happy_life