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दर्द कल भी सह के चुप थे और,आज भी सह कर चुप है,क्या

दर्द कल भी सह के चुप थे और,आज भी सह कर चुप है,क्या करेंगे हम लोगों से अपना दर्द कहके,जब वो देख के भी ना समझ सके,दिल के दर्द को तो क्या,फायदा लोगों से अपना दर्द कह के।। Ankahe dard
दर्द कल भी सह के चुप थे और,आज भी सह कर चुप है,क्या करेंगे हम लोगों से अपना दर्द कहके,जब वो देख के भी ना समझ सके,दिल के दर्द को तो क्या,फायदा लोगों से अपना दर्द कह के।। Ankahe dard
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