कमियाँ तो मुझमें भी बहुत है, पर मैं बेईमान नहीं। मैं सबको अपना मानता हूँ, सोचता कभी फायदा या नुकसान नहीं। बस शौक है शान से जीने का मुझे, कोई और मुझमें गुमान नहीं। छोड़ दूँ बुरे वक़्त में साथ अपनों का, वैसा तो मैं इन्सान नहीं।