बारिशो की नगरी में खुद को बूंदे समझूँ , फूलों की नगरी में खुद को गुलाब समझूँ । चाहे लाख कहे ज़माना , मैं तो हर शायरी में खुद को गुलज़ार समझूँ ।। #writer_jigar #gulzar_jigar