छपाक #CHAPAK# तुमनें मुझे अपनी सनक का शिकार बना लिया, एसिड फ़ेक तुमने मेरा चेहरा जला दिया। बड़ी खूबसूरत मेरी ज़िन्दगानी थी, मैं चंचल सी चहकती गुड़िया-रानी थी तुमने अपने गुस्से को मुझपे उतार दिया एसिड फेक तुमने मेरा चेहरा जला दिया। उड़ती थी मैं आसमानों में, महकती खुश्बू सी हवाओं में, तुमनें तो मेरे पंखों को सुला दिया एसिड फ़ेक तुमने मेरा चेहरा जला दिया। माँ मुझे परियों की रानी कहती थी, मिलेगा मुझे कोई राजकुमार ये सबसे कहती थी, तुमनें तो उस माँ की परी में दाग लगा दिया, एसिड फ़ेक तुमने मेरा चेहरा जला दिया। महीनों दिन रोई थी रातों को न सोई थी तुमनें तो मेरे झुमके ,मेरे बिंदी मेरे श्रृंगार को ही छीन लिया एसिड फ़ेक तुमने मेरा चेहरा जला दिया। सोचती थी बड़ा काम करूँगी माँ-पापा का खूब नाम करुँगी, तुमनें तो मेरे माँ-बाप को ही रुला दिया एसिड फ़ेक तुमने मेरा चेहरा जला दिया। बहुत सोची फिर हिम्मत किया ,मैंने अपने सपनों को ज़िंदा किया, उस दाग-दाग चेहरे को सज़ा के निकली हो कोई और न शिकार ये सोच के निकली बन्द करने ये दरिंदगी *छपाक* बन आवाज़ निकली। #CHAPAK# तुमनें मुझे अपनी सनक का शिकार बना लिया, एसिड फ़ेक तुमने मेरा चेहरा जला दिया। बड़ी खूबसूरत मेरी ज़िन्दगानी थी, मैं चंचल सी चहकती गुड़िया-रानी थी तुमने अपने गुस्से को मुझपे उतार दिया एसिड फेक तुमने मेरा चेहरा जला दिया। उड़ती थी मैं आसमानों में,