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मा कभी कभी मन्न करता है, की तू आए और तुझसे एक दफा

मा
कभी कभी मन्न करता है,
की तू आए और तुझसे एक दफा गुफ्तगू कर लूं फिर तू चली जाए।

और कभी कभी मन्न करता है ,
की तू आए और मुझे अपने साथ ले जाए।
नहीं चाहिए ऐसी घिसिपिटी ज़िन्दगी,
जहा सब धोखा है धोखा देते है,
नहीं चाहिए ऐसी खुशी जिसमें तू ही ना हो अपने सीने से लगने को।
और तड़पने को तेरे अलावा और कुछ नहीं है,
तू आजा और मुझे लेजा,
यह शहर,यह गालियां,यहां के लोग,
सब ज़हर बन्न छुके है मेरे लिए।
हमारा रिश्ता एक डेढ़ साल में मजबूत हुआ ही था,
तूने ढाई इंच से अपनेआप को समर्पण कर दिया भगवान के हाथों।
मा
कभी कभी मन्न करता है,
की तू आए और तुझसे एक दफा गुफ्तगू कर लूं फिर तू चली जाए।

और कभी कभी मन्न करता है ,
की तू आए और मुझे अपने साथ ले जाए।
नहीं चाहिए ऐसी घिसिपिटी ज़िन्दगी,
जहा सब धोखा है धोखा देते है,
नहीं चाहिए ऐसी खुशी जिसमें तू ही ना हो अपने सीने से लगने को।
और तड़पने को तेरे अलावा और कुछ नहीं है,
तू आजा और मुझे लेजा,
यह शहर,यह गालियां,यहां के लोग,
सब ज़हर बन्न छुके है मेरे लिए।
हमारा रिश्ता एक डेढ़ साल में मजबूत हुआ ही था,
तूने ढाई इंच से अपनेआप को समर्पण कर दिया भगवान के हाथों।
saswatbaral4870

Saswat Baral

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