मैं गज़ल नहीं, अपने भाव लिखती हूँ छिपाए सबसे, कई जज़्बात लिखती हूँ सुना है सबका, पर किया है मन का थोड़े आँसू ,तो, थोड़ा प्यार लिखती हूँ सबको पता और सब जानते है मुझे, ना जाने मैं किस अंजान को लिखती हूँ किस्मत खुली तो मोहब्बत देखी, मैं उसी से जुड़ा अब हर ख़्वाब लिखती हूँ तू मिला या नहीं मिला, मैं तेरी बातें किस्से या कोई नई कहानी लिखती हूँ रही है बातें और छिपे है जज़्बात जब हर पन्नें पर अपना नाम लिखती हूँ मैं गज़ल नहीं, अपने भाव लिखती हूँ छिपाए सबसे, कई जज़्बात लिखती हूँ ~Akshita Jangid