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मूक अचल हिमालय में खड़े चीड़ के पेड़ हैं जैसे ऐसी ही

मूक अचल हिमालय में 
खड़े चीड़ के पेड़ हैं जैसे
ऐसी ही निशब्द हूँ मैं।

लंबवत, विशाल, सशक्त स्वाभिमान पर 
क्षुद्र भाव पत्तियों की
शंकुकार उच्च डाल हूँ मैं।

मैं बर्फ़ को लपेटे
उज्वल अंधेरी रात हूँ,
कोहरे की चादर लिए
तीसरे पहर की "साँझ" हूँ मैं। #nojoto
#hindipoetry
#pinetree
#himalaya
#hindinama
#kavishala
#kalakaksh
#kavita
मूक अचल हिमालय में 
खड़े चीड़ के पेड़ हैं जैसे
ऐसी ही निशब्द हूँ मैं।

लंबवत, विशाल, सशक्त स्वाभिमान पर 
क्षुद्र भाव पत्तियों की
शंकुकार उच्च डाल हूँ मैं।

मैं बर्फ़ को लपेटे
उज्वल अंधेरी रात हूँ,
कोहरे की चादर लिए
तीसरे पहर की "साँझ" हूँ मैं। #nojoto
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