लिखना भी कितना सुकुन देता है ना, अपने करीबी दोस्त के जैसे कागज पर कलम कि जुबा से लिख कर अपना दर्द बयाँ करना.. लिखना भी कितना सुकुन देता है ना, अपने करीबी दोस्त के जैसे कागज पर कलम कि जुबा से लिख कर अपना दर्द बयाँ करना.... रविन्द्र महरानीयाँ