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ग़म के बादल भले ही गहरे हों बस तिरी याद के उजाले ह

ग़म के बादल भले ही गहरे हों
बस तिरी याद के उजाले हों

हम को दरकार इक तबीब की है
आप आएँ तो हम भी अच्छे हों

काम आसान कर दिया जाए
इश्क़ में वापसी के रस्ते हों

इन को भी अपनी झुरियाँ दिख जाएँ
आइनों के भी अपने चेहरे हों
(इरफान खान)

©Ramesh Puri Goswami (ravi) #seashore
ग़म के बादल भले ही गहरे हों
बस तिरी याद के उजाले हों

हम को दरकार इक तबीब की है
आप आएँ तो हम भी अच्छे हों

काम आसान कर दिया जाए
इश्क़ में वापसी के रस्ते हों

इन को भी अपनी झुरियाँ दिख जाएँ
आइनों के भी अपने चेहरे हों
(इरफान खान)

©Ramesh Puri Goswami (ravi) #seashore