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इंसाँ हूँ ज़िन्दगी जो तुझे हँसता मिले दुआ है तुझ

इंसाँ हूँ ज़िन्दगी जो तुझे हँसता मिले 
दुआ  है  तुझे  कोई  फ़रिश्ता  मिले । 
इक घर खड़ा है इन दो काँधों पर
या रब मुझे ईश्क़ ज़रा सस्ता मिले । 
सारा जहाँ घूम लिया फिर भी वहीं 
चल वहाँ जहाँ वखरा रास्ता मिले । 
आम होने से डरता है ये पंछी
आसमान को भी नया फ़ाख्ता मिले । 
चाँद ने रख्खी है रोशनी उधार की
सूदखोर सुरज़ को सूद पुख्ता मिले । 
ज़ुबाँ से क्या मन्नतें करना ज़िन्दगी
सच्चा ख़ुदा जब  दिल पढ़ता मिले । 
होने दे कभी आसमान को सफ़ेद
नज़्म से क़ागज़ काला होता मिले । 
चुस्कियाँ याद हैं वो आपको ज़िन्दगी
काश कोई मेरे प्याले से  लेता मिले । 
घंटा - घंटा कर अपनी फ़ुरसत बेच खायी
हैरां न होना जो ग़रीब खर्चा करता मिले । 
एक एक कदम नज़रे झुका के रखना
नज़ाकत का तहज़ीब से रिश्ता मिले । 
सिरहाने रख ली है तस्वीर राम की 
भाई कल को ये न मुझे कोसता मिले । 
बैठा है कोई फ़रिश्ता क्या महफ़िल में
जो सतिन्दर से आहिस्ता आहिस्ता मिले ।
©️✍️ सतिन्दर नज़्म मिले 
Azin Irshad Ikhtiyar ahmed Ias Aspirant Ujjawal Munfarid Gorakhpuri Yasir Ahmed
इंसाँ हूँ ज़िन्दगी जो तुझे हँसता मिले 
दुआ  है  तुझे  कोई  फ़रिश्ता  मिले । 
इक घर खड़ा है इन दो काँधों पर
या रब मुझे ईश्क़ ज़रा सस्ता मिले । 
सारा जहाँ घूम लिया फिर भी वहीं 
चल वहाँ जहाँ वखरा रास्ता मिले । 
आम होने से डरता है ये पंछी
आसमान को भी नया फ़ाख्ता मिले । 
चाँद ने रख्खी है रोशनी उधार की
सूदखोर सुरज़ को सूद पुख्ता मिले । 
ज़ुबाँ से क्या मन्नतें करना ज़िन्दगी
सच्चा ख़ुदा जब  दिल पढ़ता मिले । 
होने दे कभी आसमान को सफ़ेद
नज़्म से क़ागज़ काला होता मिले । 
चुस्कियाँ याद हैं वो आपको ज़िन्दगी
काश कोई मेरे प्याले से  लेता मिले । 
घंटा - घंटा कर अपनी फ़ुरसत बेच खायी
हैरां न होना जो ग़रीब खर्चा करता मिले । 
एक एक कदम नज़रे झुका के रखना
नज़ाकत का तहज़ीब से रिश्ता मिले । 
सिरहाने रख ली है तस्वीर राम की 
भाई कल को ये न मुझे कोसता मिले । 
बैठा है कोई फ़रिश्ता क्या महफ़िल में
जो सतिन्दर से आहिस्ता आहिस्ता मिले ।
©️✍️ सतिन्दर नज़्म मिले 
Azin Irshad Ikhtiyar ahmed Ias Aspirant Ujjawal Munfarid Gorakhpuri Yasir Ahmed