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कहीं विरह वियोग में तड़प प्रियसी प्रीतम प्यारे की

कहीं विरह वियोग में तड़प प्रियसी प्रीतम 
प्यारे की राह तके है बरस जाएं न अश्रू
 आंखो से समेट ले उनको रिमझिम 
बरखा... -वेद प्रकाश

©VED PRAKASH 73
  #कविता_2