खोलो बंद हृदय के द्वार महसूस करो नाम की झंकार देर नही,अब बेड़ा पार प्रभु को बना लो प्राणाधार। रति , यति दोनों की समान गति हृदय में पोषित पृथक पृथक अहंकार संभलो दोनों अति छोड़ों से करो गहन मन में विचार। कलि काल में नाम जप ही साधन साधकों ! प्रभु खड़े तेरे द्वार नाम जप की जलधारा से करो स्वयं का स्वयं से संस्कार। ©Rohini Singh #blindtrust