मैं, मिल जाये जो तेरा साथ, तो कहीं पूरा सा हूँ मैं, तेरे हर एक शब्दों का आदि हो गया हूँ मैं, कहिं लगी कोई कमी तो उन से परिचित हो गया हूँ मैं, तुझमें रहस्यों के ज्ञान की भरमार हैं, तू ही मेरे जीवन का उतम उपहार हैं, तेरे होने से ही पाता ज्ञान यह संसार हैं, मिली मुझें तू ये तेरा आभार हैं, तू ही मेरा एक खूबसूरत ख़्वाब हैं, तू ही मेरी सहेली किताब हैं। कुछ अधूरा-सा हू कुछ अधूरा-सा हू पुरा होने की चाह है समझ नही आ रहा वह कौन-सी राह है थोड़ी-सी दर्द भरी है जिन्दगी मगर कभी आराम भी होगा