-अमर संजीवनी-भाग-2 हाँ तुम में ही थी वो अभिव्यक्ति जिनसे मिली मुझे फिर से जीने को शक्ति क्योंकि मानशिक मजबूत बनाने का सारा श्रेय तुम्हीं को है.. ऐसे में निराश व परेशान तो कई बार किया होगा हमने पर इस दिल पर राज आज भी सिर्फ तुम्हारा ही है यदि तुम मुझसे कभी रुठ भी गई हो अलग होना हमसे तुम्हारी मजबूरी बनी हो फिर भी हर पल तुम्हारे सम्मान व खुशियों के साथ खड़ा हूँ मैं.. नियति से यदि हम हमसफर जीवन में न भी बन पाए.. तो हमसफर के बिना भी जीवन सफर कर लूँगा मैं.. पर तुम्हारे किये उस एहसान को जीवन के हर पड़ाव में हमेशा दिल से याद रखूंगा मैं.. दिल से धन्यवाद व आभार आपका -Amar anand #मेरेएहसास भाग - ( 1 - 2 ) #paidstory7