बाबुल की मैं गुड़िया थी मां की आंख का तारा अभी ना ठीक से दुनिया देखी ना देखे थे चांद सितारा मेरे सपने मेरे ख्वाबों को आखिर कुचल किसने डाला नन्ही सी मैं जान थी किसका क्या बिगाड़ा था जो उन दरिंदो ने मिल कर मेरा बचपन उजाड़ा था मेरे जिस्म से मेरी रूह को अलग उन्होंने कर डाला था शायद ही मैं कभी ये भूल पाऊंगी इस संसार में दुबारा कभी एक बेटी बन कर ना आऊंगी ©Pihu Dhaundiyal #Stoprape