जाने किस राह में आ गयी हूं बीच राह में भटक सी गयी हूं अब न राही दिखे न ही मंजिल ऐ मेरे खुदा इस नचिज पर जरा रहम तो कर मेरे जीवन का मार्ग दर्शन तो कर पछतावा हो रहा उस दिन के लिए जब मैंने खायी थी कसम तूझे पाने के लिए क्या कमी रह गई थी मुझमें यार तूझे ही तो माना था अपना सारा संसार जी चाहता है कुछ कर जाऊं या यू कहें कि मर जाऊं ऐ मेरे खुदा इस नचिज पर जरा रहम तो कर मेरे जीवन का मार्ग दर्शन तो कर अपनो को पराया किया तूझे अपना बनाने के लिए हर नामुमकिन को मुमकिन किया इस सपने को सच करने के लिए अब जिन्दगी में कोई ख्वाहिश नहीं तेरे बिना जीने की कोई चाहत नहीं नींद तो बस एक बहाना है अब तो हमें पलकें कभी नहीं खोलना है रोक के क्या करू अब इन सासों को ? आ चुकी है घड़ी इनके रूक जाने की कुछ भी कर लो अब तो इन्हे मिट्टी में मिल जाना ही है राहें