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मैं आजकल रात को सोया हुआ, तारों से तेरा चेहरा बनाक

मैं आजकल रात को सोया हुआ,
तारों से तेरा चेहरा बनाकर देखता हूं...
तेरे हाथों में फूलों की माला होती है,
और मेरे सर पे सेहरा बनाकर देखता हूं...
बड़ी uniq लगती है अपनी जोड़ी यार,
ये याद पुरानी मत बन जाना तुम...
जो लोगों को रोके सुनाता फिरूं,
वो कहानी मत बन जाना तुम...
अगर बनो तो होठों की हंसी बनो,
आंखों का पानी मत बन जाना तुम...

©chandra_the_unique aankho ka pani mat ban jana tum... Anita Sahani Dr. Sonia shastri Preeti Laxmi ji up poet pari srivastava
मैं आजकल रात को सोया हुआ,
तारों से तेरा चेहरा बनाकर देखता हूं...
तेरे हाथों में फूलों की माला होती है,
और मेरे सर पे सेहरा बनाकर देखता हूं...
बड़ी uniq लगती है अपनी जोड़ी यार,
ये याद पुरानी मत बन जाना तुम...
जो लोगों को रोके सुनाता फिरूं,
वो कहानी मत बन जाना तुम...
अगर बनो तो होठों की हंसी बनो,
आंखों का पानी मत बन जाना तुम...

©chandra_the_unique aankho ka pani mat ban jana tum... Anita Sahani Dr. Sonia shastri Preeti Laxmi ji up poet pari srivastava