खता नहीं थी उसकी कुछ जान की कीमत ही सस्ती थी, बारिश की पहली बूंद थी वो,मिटना तो उसकी हस्ती थी। इक जंग मुसलसल थी उनमें फना होने की ख्वाहिश में, कुछ ऐसा इश्क़ था मानो के धरती भी उनको तरसती थी। Pahli Barish Pahla Ishq Paayal Vashisht