मैं तो तुम्हारे पाओ के निशान उस रेत पर खोजा करता था जिसरेत पर कभी धूल के सिबा औऱ कुछ हासिल न हो सका औऱ मैं तुम्हें उस रेत की धुल मे खोजा करता था रंजीत मैंने तुम्हें उस धूल मे खोजा जिसे कभी उस रेत से कुछ हासिल न हो सका