तुमको ढूंढती है मेरी नज़र इस कदर, जैसे कस्तूरी के लिए बैचेन हो कोई मृग, रोक क्यों नहीं देते हो तुम हमारी ये डगर, अन्यथा खो जाएंगे हम कहीं राह-ऐ-सफ़र, कलम और शब्द