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कहने को हम पास हैं, लेकिन फिर भी कितनी दूरी है।

कहने को हम पास हैं, लेकिन
फिर भी कितनी दूरी है। 

तुम्हें हमदरदी तो है हमसे, 
पर फिर भी इक मजबूरी है। 

तेरी कुरबत में मुझे रहने दे, 
तेरे बिन जिंदगि मेरी अधूरी है। 

तू साथ अगर हो तो क्या गम है, 
मेरी खुशियाँ भी तो तू ही है। 

मुझे निस्वार्थ प्रेम है, मेरी जाँ तुमसे, 
मुझे बदला नहीं जरूरी है। 

मैने हर्फ़ लिखे हैं पन्नों पर कुछ, 
तेरे बिन कविता मेरी अधूरी है। #kavita #harf
कहने को हम पास हैं, लेकिन
फिर भी कितनी दूरी है। 

तुम्हें हमदरदी तो है हमसे, 
पर फिर भी इक मजबूरी है। 

तेरी कुरबत में मुझे रहने दे, 
तेरे बिन जिंदगि मेरी अधूरी है। 

तू साथ अगर हो तो क्या गम है, 
मेरी खुशियाँ भी तो तू ही है। 

मुझे निस्वार्थ प्रेम है, मेरी जाँ तुमसे, 
मुझे बदला नहीं जरूरी है। 

मैने हर्फ़ लिखे हैं पन्नों पर कुछ, 
तेरे बिन कविता मेरी अधूरी है। #kavita #harf
ankitpathak4352

Ankit Pathak

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