पता नहीं कहाँ चले जा रहे हैं ! कुछ भीड़ थी मेरे सिरहाने, बस चल दिया ख़ुद को ही पाने। मेरी तमन्ना हरगिज़ जीने की थी इसलिए नहीं ढूंढे कोई बहाने। ये शहर, ये गलियों की रौनक, मेरे जहन में बस उतरती नहीं है। चाहत है अपने आशियाने की, जिसकी मंजिल सरल नहीं है। पता नहीं कहाँ चले जा रहे हैं। #मेरीकहानी #merikahani #hamariadhurikahani #tournoida #tourdelhi #sambhavjain