इक तेरी इबादत का सजदा हूँ करता वरना तो मेरी ही मरजी ही चलती क्यों करते गुनाह हम परवर दिगारा जब तेरे इशारे पर हर शय है चलती बस तू ही दर्पण इक दिखता है मुझको जिसमें सच्ची हर तस्वीर दिखती। # jassal amarjit #Prayers