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दोस्त बन कर दुश्मनों सा वो सताता है मुझे फिर भी

दोस्त बन कर दुश्मनों सा वो 
सताता है मुझे 
फिर भी उस ज़ालिम पर मरना 
अपनी फ़ितरत है....... तो है 
कब कहा मैंने कि वो मिल 
जाय मुझको मै उसे 
गैर ना हो जाय वो बस 
इतनी हसरत है........ तो है
दोस्त बन कर दुश्मनों सा वो 
सताता है मुझे 
फिर भी उस ज़ालिम पर मरना 
अपनी फ़ितरत है....... तो है 
कब कहा मैंने कि वो मिल 
जाय मुझको मै उसे 
गैर ना हो जाय वो बस 
इतनी हसरत है........ तो है
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Preet Dhahan

New Creator