White सुकूँ मिलता नहीं जब भी तो माँ की याद आती है कि जैसे बारिशों की रुत में छतरी याद आती है कहीं इस शहर की आब-ओ-हवा में दम न घुट जाए कि मुझको गाँव की सौंधी सी मिट्टी याद आती है तरक़्क़ी के शिखर पर जब पहुँचते हैं तो अक्सर ही वो ना-समझी में ज़ाया की जवानी याद आती है भला वो बाप हाथों के किसे छाले दिखाए अब जिसे घर बैठी इक बेटी सियानी याद आती है ©Arshe Alam #mothers_day #everydaymotherday #maa #Mother