शीर्षक- तुम्हारा मिलना..
तुम्हारा मिलना
मेरी कोशिशों और साजिशों का एक तालमेल था
जिसे तुम आज भी महज एक इत्तेफ़ाक़ समझती हो
उन दिनों में की गई हर बचकानी और जिम्मेदार हरकत
तुम्हारी याद में ठहर जाने का एक पहल था
जिसे तुम आज भी महज एक इत्तेफ़ाक़ समझती हो..
#RDV18