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है स्वयम्वर ये मृत्यु का।। है किस्मतवाला वो, जो म

है स्वयम्वर ये मृत्यु का।।

है किस्मतवाला वो, जो मृत्यु का वरण करता है।
देशप्रेम की वेदी पर जीवन का हवन करता है।

है स्वयम्वर ये मृत्यु का,
इसका यही विधान है।
सांझ टलेगी निशा छंटेगी,
आनेवाला एक बिहान है।

छद्मावरण में जीना कैसा,
मिट्टी का श्रृंगार बहुत है।
मां कदमों में एक पल जो जिया,
जीवन का ये सार बहुत है।

परिणय सूत्र में बंधने को,
जब मृत्यू भी लालायित हो।
उस जीवन का मोल ही क्या,
जो कुंठित हो जो शापित हो।

वर तो सच्चा वही जो शत्रु का दमन करता है।
देशप्रेम की वेदी पर जीवन का हवन करता है।

आंखों में चमक मधुर मिलन की,
भुजाएं ओज से पूरित हैं।
स्वर्णकिरणों की आभा में,
स्वप्नकलियाँ भी प्रस्फुटित हैं।

मनहारी है दृश्य बड़ा ये,
धरा को गिर ये चूम रहा।
देख पवन भी मंजर ऐसा,
संग कलियों के झूम रहा।

दुल्हन डोली में बैठी,
निज शोणित से श्रृंगार किया।
जननी की अभिलाषा भी,
निज शीश चढ़ा साकार किया।

वीरों का ही तो जग भी अभिनन्दन करता है।
देशप्रेम की वेदी पर जीवन का हवन करता है।

अपनी प्रियतमा की गोदी में,
हंसता हंसता ये झूल रहा।
धीमी होती सांसों में भी,
है गर्व से सीना फूल रहा।

खुशी से आंखें स्वर्णिम होतीं,
होठों पे एक मुस्कान रही।
देश बाराती जश्न मनाते,
शादी बड़ी धूमधाम रही।

आ चुकी मिलन की बेला है,
आंखें अब बन्द ये करता है।
मृत्यु हृदय में वास है इसका,
कब कहाँ कभी ये मरता है।

लगा के मौत गले, ये जननी का वंदन करता है।
देशप्रेम की वेदी पर जीवन का हवन करता है।
 #NojotoQuote है स्वयम्वर ये मृत्यु का।।

है किस्मतवाला वो, जो मृत्यु का वरण करता है।
देशप्रेम की वेदी पर जीवन का हवन करता है।

है स्वयम्वर ये मृत्यु का,
इसका यही विधान है।
सांझ टलेगी निशा छंटेगी,
है स्वयम्वर ये मृत्यु का।।

है किस्मतवाला वो, जो मृत्यु का वरण करता है।
देशप्रेम की वेदी पर जीवन का हवन करता है।

है स्वयम्वर ये मृत्यु का,
इसका यही विधान है।
सांझ टलेगी निशा छंटेगी,
आनेवाला एक बिहान है।

छद्मावरण में जीना कैसा,
मिट्टी का श्रृंगार बहुत है।
मां कदमों में एक पल जो जिया,
जीवन का ये सार बहुत है।

परिणय सूत्र में बंधने को,
जब मृत्यू भी लालायित हो।
उस जीवन का मोल ही क्या,
जो कुंठित हो जो शापित हो।

वर तो सच्चा वही जो शत्रु का दमन करता है।
देशप्रेम की वेदी पर जीवन का हवन करता है।

आंखों में चमक मधुर मिलन की,
भुजाएं ओज से पूरित हैं।
स्वर्णकिरणों की आभा में,
स्वप्नकलियाँ भी प्रस्फुटित हैं।

मनहारी है दृश्य बड़ा ये,
धरा को गिर ये चूम रहा।
देख पवन भी मंजर ऐसा,
संग कलियों के झूम रहा।

दुल्हन डोली में बैठी,
निज शोणित से श्रृंगार किया।
जननी की अभिलाषा भी,
निज शीश चढ़ा साकार किया।

वीरों का ही तो जग भी अभिनन्दन करता है।
देशप्रेम की वेदी पर जीवन का हवन करता है।

अपनी प्रियतमा की गोदी में,
हंसता हंसता ये झूल रहा।
धीमी होती सांसों में भी,
है गर्व से सीना फूल रहा।

खुशी से आंखें स्वर्णिम होतीं,
होठों पे एक मुस्कान रही।
देश बाराती जश्न मनाते,
शादी बड़ी धूमधाम रही।

आ चुकी मिलन की बेला है,
आंखें अब बन्द ये करता है।
मृत्यु हृदय में वास है इसका,
कब कहाँ कभी ये मरता है।

लगा के मौत गले, ये जननी का वंदन करता है।
देशप्रेम की वेदी पर जीवन का हवन करता है।
 #NojotoQuote है स्वयम्वर ये मृत्यु का।।

है किस्मतवाला वो, जो मृत्यु का वरण करता है।
देशप्रेम की वेदी पर जीवन का हवन करता है।

है स्वयम्वर ये मृत्यु का,
इसका यही विधान है।
सांझ टलेगी निशा छंटेगी,

है स्वयम्वर ये मृत्यु का।। है किस्मतवाला वो, जो मृत्यु का वरण करता है। देशप्रेम की वेदी पर जीवन का हवन करता है। है स्वयम्वर ये मृत्यु का, इसका यही विधान है। सांझ टलेगी निशा छंटेगी, #Quotes #Love #deshprem