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रात की तनहाई में रोता रहा फुल बेचारा। और मैं ओस की

रात की तनहाई में रोता रहा फुल बेचारा।
और मैं ओस की बूंद समझ के हंसता रहा।

©महज़
  #Baagh
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महज़

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#Baagh

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