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क्या अपना गांव भूल जाऊ? वो बगीचा भी भूल जाऊ जहाँ

क्या अपना गांव भूल जाऊ?

वो बगीचा भी भूल जाऊ
जहाँ झूला झूला करता था
आम जामुन बैर खाया करता था।

वो तालाब भूल जाऊ,
जहाँ नहाने जाया करता था
और तैरना सीखा करता था

वो अपना खेत भूल जाऊ
जिसमे गेहूं काटा करता था
और धान रोपा करता था

वो अपना स्कूल भूल जाऊ
जहाँ 2का2, 2दूनी4 पढ़ता था
दोस्तो के साथ खेला करता था।

वो अपना गाय भूल जाऊ
जिसको रोज चराया करता था
मीठा मीठा दूध पिया करता था

वो अपने कुत्ते को भूल जाऊ
जिसके साथ रोज खेला करता था
कंधे पर बिठाकर घुमाया करता था।

क्या अपना परिवार भूल जाऊ
जहाँ अपना पूरा बचपन बिताया
वो अपना गांव भूल जाऊ।

क्या अपना गांव भूल जाऊ? #गांव_और_इश्क़

क्या अपना गांव भूल जाऊ?

वो बगीचा भी भूल जाऊ
जहाँ झूला झूला करता था
आम जामुन बैर खाया करता था।
क्या अपना गांव भूल जाऊ?

वो बगीचा भी भूल जाऊ
जहाँ झूला झूला करता था
आम जामुन बैर खाया करता था।

वो तालाब भूल जाऊ,
जहाँ नहाने जाया करता था
और तैरना सीखा करता था

वो अपना खेत भूल जाऊ
जिसमे गेहूं काटा करता था
और धान रोपा करता था

वो अपना स्कूल भूल जाऊ
जहाँ 2का2, 2दूनी4 पढ़ता था
दोस्तो के साथ खेला करता था।

वो अपना गाय भूल जाऊ
जिसको रोज चराया करता था
मीठा मीठा दूध पिया करता था

वो अपने कुत्ते को भूल जाऊ
जिसके साथ रोज खेला करता था
कंधे पर बिठाकर घुमाया करता था।

क्या अपना परिवार भूल जाऊ
जहाँ अपना पूरा बचपन बिताया
वो अपना गांव भूल जाऊ।

क्या अपना गांव भूल जाऊ? #गांव_और_इश्क़

क्या अपना गांव भूल जाऊ?

वो बगीचा भी भूल जाऊ
जहाँ झूला झूला करता था
आम जामुन बैर खाया करता था।