हमने कई सदियाँ बिताई है, एक जन्म नहीं, सातों जन्म यू ही तन्हा बिताए है, क्या कहे कि अब भी कितना करते है हम इंतजार, बस ये समझ लो कि पतझड़ हो चुकी मेरी उम्मीद को, पल दो पल के साथ से भी, सावन में खिलने वाली कली जैसे दोबारा खिलना सिखा सकते है... — % & नमस्कार लेखकों।😊 हमारे #rzcinemagraph पोस्ट पर Collab करें और अपने शब्दों से अपने विचार व्यक्त करें । इस पोस्ट को हाईलाईट और शेयर करना न भूलें!😍 हमारे पिन किये गए पोस्ट को ज़रूर पढ़ें🥳