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खुशबू बनकर गुलों से उड़ा करते हैं, धुआं बनकर

खुशबू बनकर  गुलों  से  उड़ा  करते  हैं,
धुआं  बनकर  पर्वतों  से  उड़ा  करते  हैं,
ये  कैंचियाँ  खाक  हमें  उड़ने  से  रोकेगी,
हम  परों  से  नहीं  हौसलों  से  उड़ा  करते  हैं....

खुशबू बनकर गुलों से उड़ा करते हैं, धुआं बनकर पर्वतों से उड़ा करते हैं, ये कैंचियाँ खाक हमें उड़ने से रोकेगी, हम परों से नहीं हौसलों से उड़ा करते हैं.... #Books

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