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मैंने देखा ही नहीं कोई मौसम,,मैंने चाहा हैं तुम्हे

 मैंने देखा ही नहीं कोई मौसम,,मैंने चाहा हैं तुम्हें चाय की तरह....!!
 मैंने देखा ही नहीं कोई मौसम,,मैंने चाहा हैं तुम्हें चाय की तरह....!!
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babli

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मैंने देखा ही नहीं कोई मौसम,,मैंने चाहा हैं तुम्हें चाय की तरह....!! #Poetry

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