हश्र मेरी शायरी का यूँ न कर, हश्र मेरी शायरी का यूं ना कर। गैर की महफ़िल में मेरा जिकर। यूं ना कर। ना मज़ाक उड़ा मेरे इस हुनर का। एक ग़ज़ल सुना के जोड़ देता हूं। टूटा जिगर। ताहिर।।। #Shayari