इश्क़ में हार-जीत के लिये कोई जगह नही होती जीते रहो इसे जीने की तरह इसमें सजा नही होती खामोश लफ्ज़ की जहाँ बात अगर ना समझे कोई तो वहाँ मोहब्बत की बात करना मुनासिब नही रहती अश्क़ न गिरे चाहत में रूठे सनम की रुसवाई में तो एहसास बीती रातों की तन्हाई की फिर कहाँ से होती मिल जाये वो शख़्स हमें चाहने भर से ही अगर तो पल-पल तड़पने की याद आज साथ नही रहती खुशियाँ बटोर ली होती आज झोली में सारी हमने तो फिर मायूसी सबके चेहरे पर आज कहाँ से होती सच्ची मोहब्बत सच में अगर सबके नसीब में होती तो आज बेवफाई की कहीं भला क्यों बात होती सपनों की भी अगर बात सच निकल जाती तो होंठों पर किसी के आज झूठी बात नही होती #इश्क़#झूठ#फरेब#तनहाई#दिल#रिश्तें#अपनापन#वादे#साथ #findingyourself