सांसें उधार खरीदता रहा में,,दिल कर्ज़ उतारता रहा.लिखने का कारोबार शुरू किया मैंने,,वो मुस्कराती रही में निहारता रहा. ये दिल अलग ही वेहम में जीता रहा,, धड़कन जुदा होती रही में हारता रहा.जिस रास्ते पे रखा था कदम वो खुद ही ठोकर मारता रहा. कसमें वादे बहुत किये एक दूसरे से,,वक़्त बिगाड़ता रहा अमन संवारता रहा.ये इश्क़ का खेल है राजा खुद ही खेलता रहा खुद ही हारता रहा. इश्क़ की तासीर ही ऐसी है यहाँ जो आया,,वो जीना छोड़ मौत पुकारता रहा. ##love###poetry#quotes#life pooja negi# kaur B 😊😊