ज़िंदगी से अब और आगे न बढ़ने को जी चाहता है| शायद हार गया हूं, अपनी ही संक्लप शक्ती से अब चैन से सो जाने को जी चाहता है| न जाने कब वापस लौट आयंगे वो दिन, जब पतंगों के सहारे, आसमां से ऊची उड़ाने भरा करते थे| जब कागज की नाव सहारे, हर कठिनाईयो से जुझने का जज्बा रखते थे| क्यो बीत गये वो दिन , जब उन खेलने वाले खिलौनो मे हम सारी दुनीया रखते थे| पर आज न जाने क्यो, थक गया हूं ज़िंदगी से, अब और न बढने को जी चाहता है| न रूकने देती है , मन की संक्लप शक्ती और इंसानी हवस, शायद इसलिये हार गया हूं, अपनी ही संकल्प शक्ती से, अब चैन से सो जाने को जी चाहता है|||| ©avnishmsingh #NojotoQuote #zindagi #emotions #lifehack #nojotohindiquatestic #avnishmsingh शायद थक गया हूं...