दिन ढला तो क्या ढला, जब मन चला तो सब चला, आसमानों से कर के मोहब्बत अधुरी, देखो ये छोड़ गगन को सूर्य, अब चन्द्रमा मे मगन हो चला॥ manisha yaduvanshi ✍