सुंकू ए आलम देखो, बंद दीवारों में भी रंगीनियां बिखरी हैं। खुशी ढूंढी बेवजह यहां- वहां, चकाचौंध से हटी जो निगाहें तो ये तो एकांत में ही मिली।। प्रेरणा सिंह #दिल