जरूरत भी इंसान को कितना बेबस कर देता है ना कास उसे मेरी जरूरत न होता । बल्कि उसे प्यार होता । दिन तो यूं गुजार लिया है मेरे बिना । अब जिंदगी भी गुजार लो । एक दिन की खुशी भी नसीब नहीं होता मै खुद को समझा कर टूट जाता हु । मैं उनसे नही यार खुद से ही रूठ जाता हु ।। यू गलतियां तो कर ही गया मैं सजा सुनाई जनाब ने । मैं बहुत सीधा था यार मुझे मिटाया मेरे बड़े बड़े ख्वाब ने ।। क्यों तड़प होती है अब उनकी ये दिल भी अनजान है । मैं समझा था उसका मेरे में ही जान है । वो जीते है अब मेरे बिना मेरा दिल कितना अनजान है ।। लफ्जो में बया करना सीखा नही था यूं खुद को ही दर्द दे कर समझा लेता हू । जख्म देते है मेरे ही अपने अब तो दर्द हम दर्द को ही मलहम बना लेते है ।। कहे कर कुछ जाओ ना मै सुनता रहूं तुम सुनाओ ना । और दूर रहे लेते हो मै जानता हु , अब सब्र नहीं तो किसी और ही अपनाओ ना ।। चाहत भी दिल से थी यू रूह तक कब गया । मेरे अंदर फीलिंग आई ही क्या थी जीने की , पागल धोखे के दर दब गया ।। यूं हाथ उसकी अब खाली नहीं है । वो कभी सूखे अब मेरे लिए वो प्याली नही है ।। भरता गगन का पानी उसमे है । अब वो सागर भी खाली नहीं है ।। ©LLWG alfaz रोहित #OneSeason