न झूठी करो तुम फजीहत हमारी, बनेगी फ़साना मुहब्बत हमारी। करे और कोई भरे और कोई , यही रह गई है बस किस्मत हमारी। चलेंगे सदा संग नही भूलेंगे हम कि आए न जब तक कयामत हमारी। नही रोज ही हम तुम्हे मिल सकेंगे, न समझो इसे तुम नज़ाक़त हमारी। नही कर सके हम एडिट जिंदगी को, न समझो कि ये है सियासत हमारी। चलेंगे सदा संग नही भूलेंगे हम कि आए न जब तक कयामत हमारी। नहीं कोई गुड़ जो लगे कोई चींटा, करा दे कि झूठी अदावत हमारी। न झूठी करो तुम फजीहत हमारी, बनेगी फ़साना मुहब्बत हमारी न झूठी करो तुम फजीहत हमारी, बनेगी फ़साना मुहब्बत हमारी। करे और कोई भरे और कोई , यही रह गई है बस किस्मत हमारी। चलेंगे सदा संग नही भूलेंगे हम कि आए न जब तक कयामत हमारी।