#5LinePoetry मैं बैठ अकेला सोच रहा हूं, तन की धन की खुशियां क्या, यहाँ तो ये सब मोह माया है, मिलती है मन की खुशिया क्या, यहाँ लोग भेद और भाव करे, आपस मे सब टकराव करे, क्या मिल जाती है तुम सबको, इस सब से जग की खुशियां क्या पहले लोग अपना नाश करे, फिर ऊपर वाले से आश करे कुछ पल की मजे की आदत से, मिल जाती जीवन भर खुशिया क्या, मैं बैठ अकेला सोच रहा हूं, तन की धन की खुशियां क्या?। ©R.d sharma #poerty #hindi_poetry #Hindi #zindagi_se_baatein #Nojoto #kavita #5LinePoetry Ruchi sharma Ruchika dhyan mira Bhawna Mishra Zindagi Pallavi Srivastava